आशा कार्यकर्ता अर्चना की चौपाल फाइलेरियारोगियों के लिये बनी मददगार

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फाइलेरिया गुरु बन गांव में लोगों को कर रही जागरूक
- इनकार करने वाले 35 लोगों को खिला चुकी फाइलेरिया रोधी दवा
फतेहपुर। स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ मरीजों तक पहुंचाने के साथ फाइलेरिया अभियान को शत
प्रतिशत सफल बनाने में फ्रंटलाइन वर्कर आशा कार्यकर्ता अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन कर रही हैं। आशा कार्यकर्ता अर्चना सिंह की चौपाल न सिर्फ फाइलेरिया मरीजों के लिये वरदान साबित हुई बल्कि लोगों को फाइलेरिया के प्रति जागरूक करने में भी मील का पत्थर साबित हुई है।
फाइलेरिया गुरु बनी आशा कार्यकर्ता अर्चना तेलियानी विकास खंड के कांधी गांव की रहने वाली हैैं। कांधी गांव में प्रतिदिन शाम को चौपाल लगाकर लोगों को फाइलेरिया के कारण, लक्षण, उपचार और बचाव की जानकारी देना उनका नियम बन गया है। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चलाए गए स्वजन दवा सेवन अभियान की सफलता को लेकर भी आशा कार्यकर्ता अर्चना ने गांव के अन्य लोगों को जागरूक करने का काम किया, साथ ही फाइलेरिया से बचाव की दवा न खाने वाले कई लोगों को जागरूक कर उन्हें दवा खिलाने में भी स्वास्थ्य विभाग की मदद की है। आशा कार्यकर्ता ने बताया कि इस मुहिम में ग्राम प्रधान मैकी देवी के पुत्र सरोज कुमार ने भी उनका पूरा सहयोग किया। इसके साथ ही नेटवर्क सदस्यों ने लोगों की भ्रांतियां दूर करने और इनकार परिवारों को दवा खिलाने में सहयोग किया। उनके गांव में फाइलेरिया के कई मरीज हैं इनमें से कई गंभीर स्थिति में हैं। “ मैं जब भी उन्हें देखती हूं तो उनकी तकलीफ का अंदाजा मुझे भी होता। है मैं चाहती हूं मेरे गांव में फाइलेरिया का एक भी मरीज न हो इस लिए मैं लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक कर रही हूं ।” वह बताती हैं कि- “स्वास्थ्य योजनाओं के अंतर्गत रोज के काम निपटाने के बाद गांव में चौपाल लगाकर लोगों को फाइलेरिया के बारे में बताती हूं। इसके अलावा गांव के दूसरे लोगों को और अन्य बच्चों को भी मैं फाइलेरिया के प्रति जागरूक करती हूं। फाइलेरिया हाथी पांव का कोई उपचार नहीं है बचाव एवं सजगता से ही इससे बचा जा सकता है, इसलिए इस बीमारी के कारण एवं लक्षणों की जानकारी होना जरूरी है।” स्वास्थ्य केंद्र तेलियानी के चिकित्सा प्रभारी डा. अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि आशा कार्यकर्ता अर्चना का कार्य सराहनीय है। उनकी मेहनत और लगातार प्रयासों से फाइलेरिया अभियान को सफलता मिली। आशा कार्यकर्ता को जल्द ही सम्मानित किया जायेगा।
इनसेट --
इस तरह बदली गांव की तस्वीर --
कांधी गांव में आशा कार्यकर्ता के प्रयासों से 35 इनकार परिवार और 45 छूटे हुए लोगों को दवा खिलाई जा सकी है। इस साल आशा कार्यकर्ता की जागरूकता का ही परिणाम रहा की 817 करीब 80 फीसदी लोगों को यह दवा खिलाई गई है। वहीं लक्ष्मी नारायण फाइलेरिया ग्रुप के सदस्य अमरनाथ दुबे और राकेश कुमार ने भी आशा को अभियान में पूरा सहयोग किया। गांव के ही धर्मपाल यादव ने यह कहकर दवा खाने से इनकार कर दिया कि वह घर के इकलौते हैं इसलिये दवा नहीं खायेंगे तो आशा कार्यकर्ता ने उन्हे समझाकर फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई। इसी प्रकार राजकुमार ने यह कह कर दवा खाने से मना कर दिया कि जो लोग दवा खा रहे हैं वह बीमार हो रहे हैं तो आशा कार्यकर्ता ने उन्हें बीमारी की गंभीरता समझाकर अपने सामने दवा खिलाई। दवा खाने के बाद धर्मपाल ने बताया उन्हे कोई दिक्कत नहीं हुई। उन्होंने आशा को
धन्यवाद भी दिया। आशा ने बताया कि जो लोग दवा खाने से रह गये हैं वह बाहर रहते हैं।

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